Peanut Farming : मूंगफली की खेती कर किसान भाई हो सकते हैं मालामाल, बस इन बातों का रखना होगा ध्यान

किसान भाई शानदार कमाई के लिए मूंगफली की खेती कर सकते हैं. इसकी खेती के समय सिंचाई का खास ध्यान रखना बेहद ही जरूरी है.

Peanut Farming: हमारे देश में रहने वाले ज्यादातर लोगों को मूंगफली बहुत पसंद होती है. इसकी खेती भारत के कई राज्यों में की जाती है। अगर आप भी किसान हैं तो मूंगफली की खेती कर अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं. इसकी खेती में लगभग 4 महीने का समय लगता है. यह सही खेती तकनीक पर भी निर्भर करता है। इसलिए अच्छी आमदनी पाने के लिए जरूरी है कि मूंगफली की खेती उन्नत बीज और आधुनिक तकनीक से की जाए.

इन राज्यों में बंपर खेती होती है

मूंगफली की खेती देश के कई राज्यों में की जाती है. जिसमें इसकी खेती मुख्य रूप से राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल में की जाती है। मूंगफली की फसल के लिए खेत की तीन से चार बार जुताई करें. इसके बाद मिट्टी को समतल करें और फिर समतल करने के बाद खेत में आवश्यकतानुसार जैविक खाद, उर्वरक और पोषक तत्वों का प्रयोग करें. जिससे हमें अच्छी पैदावार मिल सके. खेत की तैयारी के बाद मूंगफली की बुआई के लिए बीज तैयार करना चाहिए. ताकि फसल में रोग और कीट न पनप सकें. बुआई के लिए उन्नत किस्मों एवं बीजों का प्रयोग करें। इससे फसल में रोग लगने की संभावना कम हो जाती है। बुआई के लिए प्रति हेक्टेयर 60 से 70 किलोग्राम बीज दर का प्रयोग करें.

सिंचाई आवश्यक है

मूंगफली की फसल केवल बारिश पर निर्भर करती है इसलिए इसे पानी बचाने वाली फसल भी कहा जाता है। भारी बारिश से पहले खेत में जल निकासी की व्यवस्था कर लें, ताकि फसलों में पानी न भर जाए. मूंगफली की फसल में पानी भरने से कीट एवं रोग लगने की संभावना बढ़ जाती है। कम वर्षा की स्थिति में आवश्यकतानुसार सिंचाई करना अति आवश्यक है।

जैविक कीटनाशकों का प्रयोग करें

मूंगफली की फसल में खरपतवार अधिक उगते हैं, जिससे पौधे की वृद्धि और उपज की गुणवत्ता प्रभावित होती है। इसलिए बुआई के 15 दिन बाद और 35 दिन बाद खेतों की निराई-गुड़ाई करें और खेतों में उगी घास को उखाड़ दें. फसल में कीट एवं रोगों की निगरानी करते रहें। प्रत्येक 15 दिन के अंतराल पर आवश्यकतानुसार जैविक कीटनाशकों का प्रयोग करें।

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